कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ४० – बाणासुर का वध

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः। श्रीमते रामानुजाय नमः। श्रीमद् वरवरमुनये नमः। श्रीवानाचलमहामुनये नमः। श्रृंखला << नरकासुर का वध कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के पुत्र, नाम अनिरुद्ध, बहुत सुंदर था। महाबली के सौ पुत्रों में बाण सबसे बड़े थे। शोणितपुर पर उसका शासन था। बाण की पुत्री उषा अनिरुद्ध को चाहती थी और उससे विवाह कर लिया। … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३९ – नरकासुर का वध

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः। श्रीमते रामानुजाय नमः। श्रीमद् वरवरमुनये नमः। श्री वानाचलमहामुनये नमः। श्रृंखला << अन्य पाँच पत्नियाँ कृष्ण और सत्यभामा पिराट्टि ने नरकासुर का वध कैसे किया उसका आनन्द लें। कहा जाता है कि नरकासुर का जन्म वाराह भगवान और भूमि पिराट्टि से हुआ परन्तु कुसंगति के कारण वह राक्षस हो गया। वह मानव … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३८ – अन्य पाँच पत्नियाँ

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << खांडव वन का अग्निदहन, इंद्रप्रस्थ का निर्माण कृष्ण ने अन्य पाँच स्त्रियों से कैसे विवाह किया आइए जानते हैं। सभी आठ स्त्रियाँ श्रीकृष्णावतार में उनकी आठ पटरानियाँ हैं। एकदा कृष्ण और अर्जुन आखेट के लिए वन को गए और यमुना जी … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३७ – खांडव वन का अग्निदहन, इंद्रप्रस्थ का निर्माण

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । श्रृंखला << प्रद्युम्न का जन्म और इतिहास पाँच पांडव वन में निर्वासन के पश्चात् लौट आए हैं और एक वर्ष का अज्ञातवास कर रहे हैं यह सूचना प्राप्त करते ही कृष्ण सात्यकि और अन्य यादवों के साथ, उनसे मिलने इन्द्रप्रस्थ गये और पांडवो … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३६ – प्रद्युम्न का जन्म और इतिहास

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << स्यमन्तक मणिलीला, जाम्बवती व सत्यभामा कल्याणम् प्रद्युम्न का जन्म श्रीकृष्ण और रुक्मिणीप्पिराट्टि के पुत्र के रूप में हुआ था। अपने पूर्व जन्म में वे मन्मथ (कामदेव) थे। उन्हें भगवान के आंशिक अवतार के रूप में महिमा दी गई। शिव की क्रोधित … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३५ – स्यमन्तक मणिलीला, जाम्बवती व सत्यभामा कल्याणम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << रुक्मिणी कल्याणम् सूर्य भक्त एक सत्राजित नामक राजा था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने स्यमन्तक मणि दी। वह कांतिमय रत्न अपार धन प्रदान करने वाला है। सत्राजित ने उसे सांकल में पिरोकर पहन लिया और आनन्द से रहने लगा। … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३४ – रुक्मिणी कल्याणम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << द्वारका निर्माण, मुचुकुन्द को आशीर्वाद देना श्रीकृष्ण द्वारा कालयवन का सेना सहित विनाश हो गया तत्पश्चात् जरासन्ध एक विशाल सेना सहित युद्ध करने पहुंचा। श्रीकृष्ण ने उस समय उसका वध करना उचित न समझते हुए वहां से बलराम के साथ द्वारका … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३३ – द्वारका निर्माण, मुचुकुन्द को आशीर्वाद देना

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << सान्दीपनि मुनि के गुरुकुल में वास करना गुरुकुल वास की अवधि पूर्ण करने के पश्चात्, श्रीकृष्ण मथुरा में रहे। कंस वध के पश्चात् उसकी दो पत्नियाँ जो कि जरासन्ध की पुत्रियाँ थीं उन्होंने अपने पिता के पास जाकर अपना भारी दु:ख … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३२ – सान्दीपनि मुनि के गुरुकुल में वास करना

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << देवकी और वसुदेव को बेड़ियों से मुक्त कराना वसुदेव जी ने अपने कुलगुरु (कुल के आचार्य (मार्गदर्शक)) से विचार-विमर्श करके श्रीकृष्ण और बलराम के उपनयन संस्कार करने की तिथि निश्चित की।उसी तिथि को श्रीकृष्ण और बलराम का उपनयन संस्कार हुआ। तत्पश्चात् … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३१ – देवकी और वसुदेव को बेड़ियों से मुक्त कराना

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << कंस का वध कंस वध के पश्चात् कृष्ण सीधे अपने माता-पिता देवकी और वसुदेव जी के पास गये। श्रीकृष्ण को देख वे अत्यंत प्रसन्न हुए। श्रीकृष्ण ने उनकी बेड़ियाँ तोड़ी और दु:ख दूर किया। श्रीकृष्ण और बलराम ने अपने माता-पिता को … Read more