लोकाचार्य स्वामीजी की दिव्य श्रीसूक्तियां – निष्कर्ष
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमते वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः लोकाचार्य की श्रीसूक्ति << पूर्व अनुच्छेद पहले के विषय में हमने नम्पिळ्ळै के ईडु महाव्याख्यानम् से उनके रहस्योद्धघाटन का आनंद लिया है। तिरुवाय्मोऴि के लिए नम्पिळ्ळै और उनके ईडु व्याख्यानम् की महिमा अच्छी तरह से प्रस्तुत की है। नम्पिळ्ळै नञ्जीयर् के दिव्य करुणा … Read more