श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६२
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका यह पूछे जाने पर कि “फिर भी, जब किसी को संसार में स्वयं की भयानक स्थिति की अनुभूति होती है, जैसा कि जिथन्ते स्तोत्रम १.४ ‘अनन्त क्लेश भाजनम्’ (सभी दुखों का निवास) में कहा गया है, तो क्या … Read more