श्रीवचनभूषण – सूत्रं १६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व​ अवतारिका पुरुषकार (पिराट्टि) और उपाय (भगवान) दोनों चेतन को उसके दोष और गुणहानी (अच्छे गुणों की कमी) दूर होने से पहले ही क्यों स्वीकार कर रहे हैं? क्या होगा यदि वे चेतना के उन पहलुओं से मुक्त होने की प्रतीक्षा … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं १४

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व अवतारिका कृपा के विषय पर कहने के पश्चात श्रीरामायण की महानता कैसे प्रगट होती हैं यह समझाने के पश्चात श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक बताते हैं कि महाभारत में उपाय की महानता कैसे प्रगट होती हैं।  सूत्रं – १४ अऱियाद​ अर्थङ्गळै … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं १३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व​ अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कृपाकर अम्माजी की प्रतिक्रीया समझाते हैं जब वें उनकी परामर्च पर नहीं बदलते हैं।  सूत्रं – १३ उपदेशत्ताले मीळाद​ पोदु चेतननै अरुळाले तिरुत्तुम, ईश्वरनै अऴाले  तिरुत्तुम।  सरल अनुवाद जब वें अम्माजी के परामर्श को सुनकर नहीं … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं १२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कृपाकर समझाते हैं कि आपकी सलाह दोनों ईश्वर और चेतन को लाभ पहूँचायेगी।  सूत्रं – १२ उपदेशत्ताले  इरुवरुडैयवुम्  कर्म पारतंत्रयम् कुलैयुम्।  सरल अनुवाद उनकी सलाह से, ईश्वर और चेतन दोनों की कर्म पर निर्भरता नष्ट हो … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं ११

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य स्वामीजी कृपाकर इस प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं कि वह ईश्वर और चेतना दोनों को कैसे सुधारती हैं?  सूत्रं – ११ इरुवरैयुम् तिरुत्तुवदु उपदेशत्ताले सरल अनुवाद वह अपनी सलाह से दोनों को सुधारती हैं।  व्याख्यान इरुवरैयुम् … … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं १०

पूरी शृंखला पूर्व​ श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कृपाकर यह समझाते हैं कि कैसे अम्माजी मिलन और अलगाव में पुरुषकार कैसे करती हैं।  सूत्रं – १० सम्श्लेष दशयिल् ईश्वरनैत् तिरुत्तुम्; विश्लेष दशयिल् चेतननैत् तिरुत्तुम् सरल अनुवाद संघ में ईश्वर को सुधारेगी और अलगाव में … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं ९

श्री:श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व​ अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य​ स्वामीजी दयापूर्वक इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि अम्माजी का पुरुषकारत्व कहाँ प्रकट होता है, जिसमें ऐसे गुण हैं।  सूत्रं – ९ सम्श्लेष विशेषङ्गळ् इरण्डिलुम् पुरुषकारत्वम् तोट्रुम् सरल अनुवाद मिलन और वियोग दोनों में, उनका पुरुषकारत्व प्रकट … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं ८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व​ अवतारिका श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य​ स्वामीजी अम्माजी के विषय में तीन गुण कृपा, पारतंत्रय और अनन्यार्हतव को तीन वाक्य में समझाते हैं।  सूत्रं ८ पिराट्टि मुऱ्पडप् पिरिन्ददु तन्नुडैय कृपैयै वॆळियिडुगैक्काग, नडुविल् पिरिन्ददु पारतन्त्र्यत्तै वॆळियिडुगैक्काग, अनन्तरम् पिरिन्ददु अनन्यार्हत्वत्तै वॆळियिडुगैक्काग सरल अनुवाद सबसे पहिले … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व​ अवतारिका तत्पश्चात पुरुषकार कि प्रकृति को समझाने के लिये पहिले श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक उन गुणों कि व्याख्या करते हैं जो पुरुषकारत्व के लिये आवश्यक हैं।  सूत्रं ७ पुरुषकारमाम्पोदु कृपैयुम् पारतन्त्रयमुम् अनन्यार्हत्वमुम् वेणुम्  सरल अनुवाद पुरुषकार करते समय कृपा, … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व​ अवतारिका श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य​ स्वामीजी ने उज्जीवन के लिए आवश्यक पहलुओं को उजागर करने के लिए उपब्रुह्मणों के माध्यम से वेदांत का सार निर्धारित करना प्रारम्भ किया। इसमें, बाद में, वह दयापूर्वक इस प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं कि “वर्तमान … Read more