आचार्य हृदयम् – १०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः 

श्रृंखला

<< आचार्य हृदयम् – ९

अवतारिका (परिचय)

अज्ञान (आत्मा का) और करुणामय हृदय (भगवान का) के कारण समझाये हैं।

चूर्णिका – १०

एतन्निमित्तम् मुन्नमे मुदल् मुन्नमेयान अचित् अयन अनादि सम्बन्दङ्गळ्।

सामान्य व्याख्या

आत्मा का अचित (प्रकृति/तत्व) और अयन (भगवान/धाम) के साथ अनादि काल से सम्बन्ध ही इसका कारण है।

व्याख्यान (टीका टिप्पणी)

एतत् अज्ञानता और करुणामय हृदय दोनों को इङ्गित करता है।

अर्थात् – अविद्या का कारण अनादि काल से अचित् के साथ सम्बन्ध होना है, जैसे कि तिरुविरुत्तम् ९५ में वर्णन है कि, मूदावियिल् तडुमाऱुम् उयिर् मुन्नमे” (अनादिकाल से जीवात्मा किसी भौतिक रूप में प्रवेश करता रहा है, उससे बन्धन रखता रहा है); सौहार्द हृदय का कारण भगवान के साथ सम्बन्ध है जैसे तिरुवाय्मोऴि २.३.६ में वर्णन है, अडियेन् अडैन्देन् मुदल् मुन्नमे” (क्या मैं, (जो स्वरूप से ही आपका दास हूँ), अनादि काल से आप तक नहीं पहुँचा हूँ? क्या भगवान को नारायण (सभी जीवों का धाम) के रूप नहीं जाना जाता है?)

इस प्रकार, अनादि अचित् सम्बन्ध ही अविद्या का कारण है, अज्ञान के कारण ही पुण्य और पाप होते हैं, पुण्य/पाप के कारण जन्म मिलता है जो अज्ञान का कारण है, जन्म/अज्ञान रजोगुण और तमोगुण में कर्म करने की‌ओर ले जाते हैं, जिसके कारण अर्थ पञ्चकम् के ज्ञान का अभाव होता है, जिसके फलस्वरूप जीव संसार में दु:ख प्राप्त करता है, जैसे कि “अज्ञानात् सम्सारः” में कहा गया है (अज्ञान बन्धन की ओर ले जाता है)। उसी प्रकार, भगवान के साथ शाश्वत सम्बन्ध के कारण उनका सौहार्द, सौहार्द उनकी दया की ओर ले जाता है, करुणा करुणामय दृष्टि की ओर ले जाती है, ऐसी दृष्टि आत्मा से शुभ कर्म की ओर ले जाती है, शुभ कर्म अर्थ पञ्चकम् के ज्ञान की ओर ले जाते हैं जिसके कारण व्यक्ति मोक्ष में आनन्द का अनुभव करता है, जैसे “ज्ञानान् मोक्षः” में कहा गया है (ज्ञान मुक्ति की ओर ले जाता है)।

अडियेन् अमिता रामानुजदासी।

आधार – https://granthams.koyil.org/2024/03/04/acharya-hrudhayam-10-english/

संगृहीत- https://granthams.koyil.org/

प्रमेय (लक्ष्य) – https://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – https://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – https://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – https://pillai.koyil.org

Leave a Comment