श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम:
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अवतारिका
जब पूछा गया कि “क्या ये तीनों विषय वहाँ प्रपत्ती के कारण होंगे (‘ऎन् नान् सॆय्गेन्‘ पाशुर में)?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक कहते हैं
सूत्रं – ४७
अङ्गु ऒन्ऱैप् पट्रि इऱुक्कुम् ।
सरल अनुवाद
यह उन विषयों में से एक पर आधारित होगा।
व्याख्या
अङ्गु ऒन्ऱैप् पट्रि इऱुक्कुम्
अर्थात् – उस पाशुर में, आऴ्वार् की प्रपत्ती तीन विषयों (अज्ञान, महान ज्ञान और अत्यधिक भक्ति) के बीच उनकी प्रमुख भक्ति पारवश्यम् (अत्याधीक भक्ति से बंधा होना) पर आधारित है।
अडियेन् केशव रामानुज दास
आधार: https://granthams.koyil.org/2021/02/13/srivachana-bhushanam-suthram-47-english/
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