श्रीवचनभूषण – सूत्रं १००

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम:

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श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कहते हैं, “यद्यपि ये तीनों प्रकार के व्यक्तित्वों के लिए वांछनीय हैं, तथापि इनका प्रपन्न में उपस्थित होना अन्य की अपेक्षा अधिक आवश्यक है”।

सूत्रं – १००

मूवरिलुम् वैत्तुक्कॊण्डु मिगवुम् वेण्डुवदु प्रपन्ननुक्कु।

सरल अनुवाद

इन तीनों में से प्रपन्न के लिए इनकी आवश्यकता अन्य की अपेक्षा अधिक है।

व्याख्या

मूवरिलुम्

श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी ने अन्य प्रकार के व्यक्तित्वों का उल्लेख केवल प्रपन्न के इन गुणों के महत्व को स्थापित करने के लिए किया था।

अडियेन् केशव रामानुज दास

आधार: https://granthams.koyil.org/2021/05/15/srivachana-bhushanam-suthram-100-english/

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