यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ९०
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ८९ जीयर् कोयिल के अनुभव की कमी के लिए दुःखित थे। जबकी श्रीवरवरमुनि स्वामीजी आऴ्वार्तिरुनगरि में विराजमान थे मार्गशीष महिना (धनुर्मास) प्रारम्भ हुआ। श्रीवरवरमुनि स्वामीजी बहुत दुखी हुए कि वें श्रीरामानुज स्वामीजी कि तिरुप्पावै [श्रीरामानुज स्वामीजी तिरुप्पावै से बड़ी गहराई से जुड़े … Read more