कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३७ – खांडव वन का अग्निदहन, इंद्रप्रस्थ का निर्माण

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । श्रृंखला << प्रद्युम्न का जन्म और इतिहास पाँच पांडव वन में निर्वासन के पश्चात् लौट आए हैं और एक वर्ष का अज्ञातवास कर रहे हैं यह सूचना प्राप्त करते ही कृष्ण सात्यकि और अन्य यादवों के साथ, उनसे मिलने इन्द्रप्रस्थ गये और पांडवो … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३६ – प्रद्युम्न का जन्म और इतिहास

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << स्यमन्तक मणिलीला, जाम्बवती व सत्यभामा कल्याणम् प्रद्युम्न का जन्म श्रीकृष्ण और रुक्मिणीप्पिराट्टि के पुत्र के रूप में हुआ था। अपने पूर्व जन्म में वे मन्मथ (कामदेव) थे। उन्हें भगवान के आंशिक अवतार के रूप में महिमा दी गई। शिव की क्रोधित … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३५ – स्यमन्तक मणिलीला, जाम्बवती व सत्यभामा कल्याणम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << रुक्मिणी कल्याणम् सूर्य भक्त एक सत्राजित नामक राजा था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने स्यमन्तक मणि दी। वह कांतिमय रत्न अपार धन प्रदान करने वाला है। सत्राजित ने उसे सांकल में पिरोकर पहन लिया और आनन्द से रहने लगा। … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३४ – रुक्मिणी कल्याणम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << द्वारका निर्माण, मुचुकुन्द को आशीर्वाद देना श्रीकृष्ण द्वारा कालयवन का सेना सहित विनाश हो गया तत्पश्चात् जरासन्ध एक विशाल सेना सहित युद्ध करने पहुंचा। श्रीकृष्ण ने उस समय उसका वध करना उचित न समझते हुए वहां से बलराम के साथ द्वारका … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३३ – द्वारका निर्माण, मुचुकुन्द को आशीर्वाद देना

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << सान्दीपनि मुनि के गुरुकुल में वास करना गुरुकुल वास की अवधि पूर्ण करने के पश्चात्, श्रीकृष्ण मथुरा में रहे। कंस वध के पश्चात् उसकी दो पत्नियाँ जो कि जरासन्ध की पुत्रियाँ थीं उन्होंने अपने पिता के पास जाकर अपना भारी दु:ख … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३२ – सान्दीपनि मुनि के गुरुकुल में वास करना

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << देवकी और वसुदेव को बेड़ियों से मुक्त कराना वसुदेव जी ने अपने कुलगुरु (कुल के आचार्य (मार्गदर्शक)) से विचार-विमर्श करके श्रीकृष्ण और बलराम के उपनयन संस्कार करने की तिथि निश्चित की।उसी तिथि को श्रीकृष्ण और बलराम का उपनयन संस्कार हुआ। तत्पश्चात् … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३१ – देवकी और वसुदेव को बेड़ियों से मुक्त कराना

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << कंस का वध कंस वध के पश्चात् कृष्ण सीधे अपने माता-पिता देवकी और वसुदेव जी के पास गये। श्रीकृष्ण को देख वे अत्यंत प्रसन्न हुए। श्रीकृष्ण ने उनकी बेड़ियाँ तोड़ी और दु:ख दूर किया। श्रीकृष्ण और बलराम ने अपने माता-पिता को … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ३० – कंस का वध

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << मल्लयोद्धाओं का वध कंस के रक्षक कुवलयापीड नामक हाथी और मल्लयोद्धाओं के वध के पश्चात्, एक ऊँचे मञ्च पर सिंहासन पर बैठा कंस, काँपने लगा। श्रीकृष्ण ने उसका वध करने का निश्चय किया। वे अवतरित होने के दिन से ही इसकी … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – २९ – मल्लयोद्धाओं का वध

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << कुवलयापीड हाथी का वध कुवलयापीड नामक हाथी के वध के पश्चात्, श्रीकृष्ण और बलराम ने मल्लयुद्ध के मैदान में प्रवेश किया। उस समय योद्धा, स्त्री पुरुष सभी विस्मय हो उनको  उपस्थित महानुभाव उनके दिव्य तेज को देखकर उनके दिव्य स्वरूप को … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – २८ – कुवलयापीड हाथी का वध

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << मथुरा में कृष्ण का आशीर्वाद और क्रोध इस प्रकार श्रीकृष्ण और बलराम ने स्वयं का श्रृंगार किया और सीधे उस स्थान पर पहुँचे जहाँ धनुषोत्सव आयोजित किया गया था। वहाँ जब रक्षकों ने उन्हें प्रवेश करने पर रोक लगाई तब श्रीकृष्ण … Read more