श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७०
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया तो श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक उत्तर देते हैं कि “यद्यपि प्रापक (जो परिणाम प्रदान करता है) ईश्वर है, तो क्या चेतना ही प्राप्ता (जो परिणाम प्राप्त करता है) और प्राप्तिक्कु उगप्पान् (जो परिणाम का आनंद लेता … Read more