प्रपन्नामृत – तृतीय अध्याय

पं. यादव प्रकाशाचार्य की सन्निधि में अध्ययन करते हुए श्री रामानुजाचार्य का राजकन्या को ब्रह्मराक्षस से मुक्ति दिलाना रामानुजाचार्य कांचीमें आकर समस्त शास्त्रोंका ज्ञान सम्पादन करने हेतु यादव प्रकाशाचार्य की सन्निधिमें प्रतिदिन अध्ययन करने लगें। रामानुजाचार्य की कुशाग्र बुद्धि को देखकर पं. यादव प्रकाशाचार्य ने अनुमान लगाया की यह शेष का अवतार है। उसी समय … Read more

प्रपन्नामृत – द्वितीय अध्याय

भगवद्रामानुजाचार्य का अवतार तोंडीर प्रदेश में सर्वसम्पन्न भूतपुरी नामक एक नगरी है। इसी नगरीमें सर्वगुणविभूषित हारीत कुलोद्भूत केशवाचार्य नामक भगवद् ध्यान निमग्न वैष्णवोत्तम ब्राह्मण निवास करते थे। उनकी धर्मपत्नी कीन्तिमती देवी थी। एक दिन भगवान पार्थसारथी नें उन्हे स्वप्न दिया की, “मैं ही अपने अंश से आपके पुत्र के रूप में अवतार लूँगा। चैत्र शुक्ल … Read more

प्रपन्नामृत – प्रथम अध्याय

॥ श्रीमते रामानुजाय नम: ॥ भगवान वैकुण्ठनाथ के साथ आदिशेष का संवाद वैकुण्ठ पुरी के बीच में ब्रह्मादि देवताओंसे भी अगम्य भगवान श्रीमन्नारायण का दिव्य धाम है। जिसके मध्यमें सहस्र फणोंवाले श्री शेषजी के ऊपर श्रीदेवी भूदेवी एवं नीलादेवी से तथा नित्य-मुक्त पार्षदोंसे सुसेवित भगवान परवासुदेव सुखपूर्वक विश्राम कर रहे हैं। एक समय भगवान को … Read more

चरमोपाय निर्णय – निर्णय का प्रतिपादन

॥ श्री: ॥ ॥ श्रीमते रामानुजाय नमः ॥ ॥ श्रीमद्वरवरमुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवानाचलमहामुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवादिभीकरमहागुरुवेनमः ॥   यह अंतिम सारांश भाग रामानुज नुट्रन्दादी के पाशुरों पर आधारीत है । यह दिव्यप्रबंध ४000 दिव्यप्रबंधों में से एक है, जिसे श्रीरंगम में सवारी के समय भगवान ने स्वयं आज्ञा देकर इसका निवेदन करने के लिए कहा … Read more

चरमोपाय निर्णय – श्री रामानुज स्वामीजी ही उद्धारक है – 3

  ॥ श्री: ॥ ॥ श्रीमते रामानुजाय नमः ॥ ॥ श्रीमद्वरवरमुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवानाचलमहामुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवादिभीकरमहागुरुवेनमः ॥       एक बार श्री गोविंदाचार्य स्वामीजी भगवान के गुणों का अनुभव करते हुये विराजमान थे, तब भट्टर स्वामीजी आकर साष्टांग करके पूछते हैं , आचार्य दो प्रकार के होते है ( कृपामात्र प्रसन्नाचार्य और स्वानुवृति … Read more

चरमोपाय निर्णय – श्री रामानुज स्वामीजी ही उद्धारक है – 2

  ॥ श्री: ॥ ॥ श्रीमते रामानुजाय नमः ॥ ॥ श्रीमद्वरवरमुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवानाचलमहामुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवादिभीकरमहागुरुवेनमः ॥ एक बार श्रीदेवराज मुनि के शिष्य अनंतालवान, इचान, तोंडनूर नम्बी और मरुधुर नम्बी श्री रामानुज स्वामीजी से पूछने लगे कि “ जीवात्मा के लिए आचार्य एक ही रहते है या अनेक, इस शंका का समाधान कीजिये ”। … Read more

चरमोपाय निर्णय – श्री रामानुज स्वामीजी ही उद्धारक है – 1

॥ श्री: ॥ ॥ श्रीमते रामानुजाय नमः ॥ ॥ श्रीमद्वरवरमुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवानाचलमहामुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवादिभीकरमहागुरुवेनमः ॥ श्रीशठकोप स्वामीजी,श्रीरामानुज स्वामीजी,श्रीवरवरमुनि स्वामीजी ( आलवार तिरुनगरी )   श्री रामानुज स्वामीजी तिरुकुरुगइ पिरान पिल्लान को सहस्त्रगीति का कालक्षेप कर रहे थे। “ पोलिग पोलिग ” पाशूर का वर्णन करते समय पिल्लान अत्यन्त भावुक हो गये। इसे देखकर … Read more

चरमोपाय निर्णय – रामानुज स्वामीजी का वैभव प्रकाशन

॥ श्री: ॥ ॥ श्रीमते रामानुजाय नमः ॥ ॥ श्रीमद्वरवरमुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवानाचलमहामुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवादिभीकरमहागुरुवेनमः ॥ चरमोपाय निर्णय –  श्री रामानुज स्वामीजी का वैभव प्रकाशन   श्री कुरेश स्वामीजी, रामानुज स्वामीजी की आज्ञानुसार वरदराज स्तव की रचना करके वरदराज भगवान को सुनाते हैं।श्री कुरेश स्वामीजी को भगवान उनकी खोई हुई आँखों को देना चाहते … Read more

चरमोपाय निर्णय – “श्री रामानुज स्वामीजी का अवतार रहस्य”

॥ श्री: ॥ ॥ श्रीमते रामानुजाय नमः ॥ ॥ श्रीमद्वरवरमुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवानाचलमहामुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवादिभीकरमहागुरुवेनमः ॥  चरमोपाय निर्णय  – “श्री रामानुज स्वामीजी का अवतार रहस्य”   भगवान ने कृष्णावतार में अर्जुन के माध्यम से चरमश्लोक का उपदेश दिया था, जिसमे भगवान को ही उपाय बताया गया है, उसी तरह श्री रामानुज स्वामीजी ने आचार्य … Read more

चरमोपाय निर्णय – “श्री रामानुज स्वामीजी के आचार्य द्वारा श्री रामानुज स्वामीजी में उद्धारकत्व को दर्शाना”

॥ श्री: ॥ ॥ श्रीमते रामानुजाय नमः ॥ ॥ श्रीमद्वरवरमुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवानाचलमहामुनयेनमः ॥ ॥ श्रीवादिभीकरमहागुरुवेनमः ॥ “श्री रामानुज स्वामीजी के आचार्य द्वारा श्री रामानुज स्वामीजी में उद्धारकत्व को दर्शाना” आचार्य दिव्यसूक्तियों द्वारा रामानुज स्वामीजी के उद्धारकत्व का निम्न प्रकार से वर्णन किया गया है । श्री महापुर्ण स्वामीजी महापुर्ण स्वामीजी रामानुज स्वामीजी को मधुरांतकम … Read more