कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ६० – निष्कर्ष

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << परमपद धाम की ओर लौटना  नम्माऴ्वार् अपने तिरुवाय्मोऴि में वर्णन करते हैं, “कण्णन् कऴल् इनै नण्णुम् मनम् उडैयीर् ऎण्णुम् तिरुनामम् तिण्णम् नारणमे।” इसका तात्पर्य है कि जो लोग कृष्ण के चरण कमलों की प्राप्ति करना चाहते हैं उनको “नारायण” का ध्यान … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५९ – परमपद धाम की ओर लौटना

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << वैदिक पुत्रों को लौटाना कृष्ण इस भौतिक संसार में सहस्र वर्ष तक रहे और बहुत लोगों का कल्याण किया। तत्पश्चात् उन्होंने दिव्य तेजोमय निजधाम जाने का निश्चय किया। आइए देखते हैं कि कैसे परमपद गये। महाभारत युद्ध के पश्चात् धृतराष्ट्र की … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५८ – वैदिक के पुत्रों को लौटाना

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << परीक्षित को शुभकामनाएँ कृष्ण श्री वैकुंठ से एक वैदिक (ब्राह्मण) के पुत्रों को कैसे वापस लाए, आइए इसका‌ आनंद लें। एक बार कृष्ण और अर्जुन, कृष्ण के निवास स्थान पर बैठे थे, तभी एक ब्राह्मण दु:खी अवस्था में वहाँ पहुँचा। … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५७ – परीक्षित को शुभकामनाएँ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << महाभारत युद्ध – भाग ३ युद्ध समाप्त हो गया और युधिष्ठिर का राज्याभिषेक स्वयं कृष्ण की देखरेख में हुआ और पुनः द्रौपदी और पांडवों के लिए सभी प्रकार की शुभकामनाएं आई। युद्ध के समय अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा गर्भवती थी। … Read more

कष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५६ – महाभारत युद्ध – भाग ३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << महाभारत युद्ध – भाग २ कृष्ण ने सर्वश्रेष्ठ योद्धा द्रोण को मारने की विधि पांडवों को सिखाई। द्रोण को अपने पुत्र अश्वत्थामा से बहुत प्रेम था। यदि वह मारा गया तो द्रोण स्वयं ही शक्तिहीन हो जाएगा। परन्तु वह चिरञ्जीव … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५५ – महाभारत युद्ध – भाग २

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << सहस्रनाम भीष्म की पराजय के पश्चात्, द्रोण कौरवों के सेनापति बने। भीषण युद्ध में बहुत योद्धा मारे जा रहे थे। भीष्म ओर हिडिंबा का पुत्र घटोत्कच युद्ध के मैदान में आया और कौरवों की सेना के लिए एक बहुत बड़ा भय … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५४ – सहस्रनाम

श्री:श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << महाभारत युद्ध -भाग १ महाभारत में कृष्ण द्वारा दिया गया श्रीगीतोपदेश के जैसे सहस्रनाम की भी महिमा है जो कृष्ण की महानता को दर्शाती है। आइए श्रद्धापूर्वक आनन्द लें। कृष्ण की आज्ञानुसार अर्जुन ने भीष्म पितामह को शरशैय्या पर लिटाया परन्तु … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५३ – महाभारत युद्ध -भाग १

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः  श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << गीतोपदेश भगवान के द्वारा गीतोपदेश देने के पश्चात् युद्ध आरम्भ हुआ। यह एक बहुत बड़ा युद्ध था जिसमें कई महान योद्धाओं ने भाग लिया। यह युद्ध अठारह दिनों तक चला। इसकी व्यवस्था इस प्रकार की गई थी कि योद्धा दिन में लड़ेंगे … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५२ – गीतोपदेश

श्री:श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << अर्जुन और दुर्योधन की सहायता कृष्ण की दिव्य आकांक्षा अनुसार महाभारत युद्ध आरम्भ हुआ, कृष्ण अर्जुन के सारथी बने। उन्होंने अपनी विशाल सेना दुर्योधन को दे दी। पांडवों और कौरवों के लिए विशाल सेनाएं एकत्रित हुई। वहां एकत्र हुए सैनिकों को … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५१ – अर्जुन और दुर्योधन की सहायता

श्री:श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << पांडव दूत -भाग २ कृष्ण की महिमा और योग्यता विश्व विख्यात है, इसीलिए युद्ध आरम्भ होने से पहले अर्जुन और दुर्योधन दोनों ही कृष्ण से सहायता लेने के लिए गये। आइए जानते हैं कि उन्होंने सहायता कैसे की। एक बार कृष्ण … Read more