कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ६० – निष्कर्ष
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << परमपद धाम की ओर लौटना नम्माऴ्वार् अपने तिरुवाय्मोऴि में वर्णन करते हैं, “कण्णन् कऴल् इनै नण्णुम् मनम् उडैयीर् ऎण्णुम् तिरुनामम् तिण्णम् नारणमे।” इसका तात्पर्य है कि जो लोग कृष्ण के चरण कमलों की प्राप्ति करना चाहते हैं उनको “नारायण” का ध्यान … Read more