श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४६
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी ने समझाया कि यद्यपि तीन प्रकार के व्यक्तित्वों में ज्ञान, ज्ञानाधिकार और भक्ति पारवश्यम जैसे तीन प्रकार के विषयों में संलग्नता होती है, लेकिन उनमें से एक विषय को उसके वर्चस्व के कारण प्रपत्ती के हेतु … Read more