श्रीवचन भूषण – सूत्रं ११७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका परन्तु, ज्ञानियों के लिए ये उपाय क्या हैं? सूत्रं – ११७ ज्ञानिगळुक्कु अपायम्। सरल अनुवाद  ज्ञानी व्यक्तियों के लिए ये विपत्तिपूर्ण हैं। व्याख्या ज्ञानिगळुक्कु अपायम् अर्थात्, जिन लोगों को आत्मा के वास्तविक स्वरूप का गहन बोध (स्वरूप याथात्म्य ज्ञान) … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ११६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया कि “क्या हम अन्य उपायों को बाधा के रूप में त्याग सकते हैं? क्या उन्हें भी मोक्ष के साधन के रूप में नहीं समझाया गया है? यदि हम उन्हें त्याग रहे हैं, तो वे किसके लिए … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ११५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका इससे पहले श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी ने सांसारिक सुखों के प्रति आसक्ति को पूरी तरह से त्यागने और भगवद् विषय को स्वीकार करने के मुख्य कारणों को समझाया था; इस संदर्भ में, तत्पश्चात, वे अन्य साधनों को पूर्णतया त्यागने … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ११४

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कृपापूर्वक अगले तीन कथनों (विवरण) द्वारा पहले उठाए गए संदेह का उत्तर समझाते हैं [भगवद् विषय में आत्म-प्रयास कैसे किया जा सकता है?]। सूत्रं – ११४ अन्द सत्तै प्रावण्य कार्यमान अनुभवम् इल्लादपोदु कुलैयुम्; अदु कुलैयामैक्काग वरुमवै … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ११३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी एक शंका उठाते हैं, “इस प्रकार, यदि स्वयं के वास्तविक स्वरूप के योग्य दासता ही सबसे महत्वपूर्ण है तो शेषी (भगवान) द्वारा अग्रसर करने की प्रतीक्षा करने के विरुद्ध, क्या ऐसे भगवान के प्रति स्वयं प्रयास … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ११२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका तत्पश्चात् श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी इस सिद्धांत के प्रमाण के रूप में हमें माता सीता के शब्दों का स्मरण कराते हैं। सूत्रं – ११२ अनसूयैक्कु पिराट्टि अरुळिच्चॆय्द वार्त्तैयै स्मरिप्पदु। सरल अनुवाद  उन शब्दों को स्मरण करो जो माता सीता ने … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं १११

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब उनसे पूछा गया कि, “क्या ऐसे कोई [लक्ष्मण] नहीं है जिसने श्रीरामायण किष्किन्धा काण्ड ४.१२ के अनुसार कहा, ‘गुणैर्दास्यम् उपागतः’ (श्रीराम के विषय में लक्ष्मण कहते हैं कि मैं उनके गुणों से अभिभूत होकर उनकी सेवा कर रहा … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ११०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब उनसे पूछा गया कि, “ यह कहाँ देखी है कि भगवान में अच्छे गुणों में अपूर्णता मानते हुए भी भगवद् विषय में उनकी रुचि रही?” तो श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कृपापूर्वक समझाते हैं। सूत्रं – ११० “कॊडिय ऎन्नॆञ्जम् अवन् … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं १०९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी उस विरोधाभास को दर्शा रहे हैं जो तब उत्पन्न होगा जब उनके द्वारा पहले समझाया गया सिद्धांत स्वीकार नहीं किया जायेगा। सूत्रं – १०९ इप्पडिक् कॊळ्ळादप्पोदु, गुणहीनमॆन्ऱु निनैत्त दशैयिल् भगवत् विषय प्रवृत्तियुम्, दोषानुसंधान दशैयिल् सम्सारत्तिल् … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं १०८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया कि “जैसा कि मून्ऱाम् तिरुवन्दादी १४ में कहा गया है “मऱ्-पाल् मनम् सुऴिप्प मङ्गैयर् तोळ् कै विट्टु नूऱ्-पाल् मनम् वैक्क नॊय्विदम्” (जैसे ही हृदय श्रीमन् नारायण की ओर उन्मुख होता है, स्त्रियों के कंधों के प्रति आसक्ति … Read more