श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी ने समझाया कि यद्यपि तीन प्रकार के व्यक्तित्वों में ज्ञान, ज्ञानाधिकार और भक्ति पारवश्यम जैसे तीन प्रकार के विषयों में संलग्नता होती है, लेकिन उनमें से एक विषय को उसके वर्चस्व के कारण प्रपत्ती के हेतु … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी इन तीनों विषयों के कारण को समझाते हैं अर्थात अज्ञान, आदि।   सूत्रं – ४५ इम्मून्ऱुम् मून्ऱु तत्वत्तैयुम् पट्रि वरुम्। सरल अनुवाद  ये तीन विषय तीन अस्तित्त्व  (अचित, चित्त और ईश्वर) के आधार पर बनते हैं। व्याख्या … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४४

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी अब विभिन्न व्यक्तित्वों के प्रपत्ती के हेतु होनेवाले अज्ञान आदि का कारण बता रहे हैं। सूत्रं ४४ इप्पडिच् चॊल्लुगिऱदुम् ऊट्रत्तैप् पट्रि। सरल अनुवाद  इस प्रकार कहने का कारण यह है कि हर प्रकार का व्यक्ति अलग-अलग … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी इस प्रश्न का दयापूर्वक उत्तर दे रहे हैं कि “क्या ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने अज्ञान आदि के आधार पर शरणागति किया है?” सूत्रं – ४३ अज्ञानत्ताले प्रपन्नर् अस्मतादिगळ्; ज्ञानाधिक्यत्ताले प्रपन्नर् पूर्वाचार्यर्गळ्; भक्ति पारवश्यत्ताले प्रपन्नर् आऴ्वार्गळ्। सरल … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक इस प्रश्न की व्याख्या कर रहे हैं “वे कौन हैं?” सूत्रं – ४२ अज्ञरुम्, ज्ञानाधिकरुम्, भक्ति परवशरुम् (विवशरुम्)। सरल अनुवाद  वे अज्ञानी हैं, परम ज्ञानी हैं, गहन भक्ति वाले हैं। व्याख्या अज्ञरुम् … अज्ञर् जिनके … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४१

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका सूत्र २३ “प्रपत्तिक्कु देश नियममुम्” से प्रारम्भ होकर यहाँ तक, स्थान, समय आदि द्वारा प्रतिबंध की कमी और प्रपत्ती के लक्ष्य के आधार पर प्रतिबंध जो कि उपाय वरण (पूर्व में देखा कि भगवान, उपाय (साधन) होते हुए उनको … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं ४०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका आगे, श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक कहते हैं, “न केवल यह अर्चावतार उन लोगों के लिए सुलभता से उपलब्ध है जो समर्पण की इच्छा रखते हैं, बल्कि इसमें रुचि उत्पन्न करने की क्षमता जैसे गुण भी हैं” और अर्चावतार की … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी इसके पश्चात एक उदाहरण के साथ अर्चावतार की आसान पहुँच और परत्वम आदि (पर, व्यूह, विभव, अंतर्यामी) की दुर्लभता, कठिन स्वीकार्यता पर एक दृष्टांत के साथ प्रकाश डाल रहे हैं। सूत्रं – ३९ भूगत जलम् … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी उस विषय की व्याख्या कर रहे हैं जो पहिले “इक्कुणङ्गळ् प्रकाशिप्पदु इङ्गे” में (ये गुण यहाँ प्रकाशमान हैं) कहा गया था। सूत्रं – ३८ पूर्तियैयुम् स्वातंत्र्यत्तैयुम् कुलैत्तुक् कॊण्डु, तन्नै अनादिक्किऱवर्गळै तान् आदरित्तु निऱ्-किऱ इडम्। सरल … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका यह पूछे जाने पर कि “परंतु परत्वम् (परमपद में भगवान का रूप) की तुलना में अर्चावतार में इतना महान क्या है जैसा कि ‘वासुदेवोसि पूर्णः’ (हे वासुदेव! आप सभी गुणों में पूर्ण हैं) में कहा गया है?” श्रीपीळ्ळै … Read more