श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब उनसे पूछा गया कि “आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? क्या कोई व्यक्ति अपने गाँव, कुल आदि से नहीं जाना जाता है जहाँ से वह आता है?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक उत्तर देते हैं। सूत्रं – ७८ ग्राम … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी ७४वें सूत्र से ७६वें सूत्र तक जिसे समझाया गया उसे आगे समझाते हैं। सूत्रं – ७७ अहङ्कारम् आगिऱ आर्प्पैत् तुडैत्ताल् आत्मावुक्कु अऴियाद पेर् अड़ियान् एन्ऱिऱे।  सरल अनुवाद  जब अहंकार का मैल धुल जायेगा, तब आत्मा को … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी आगे बताते हैं कि ये शेषत्व के लिए किस प्रकार बाधाएं हैं। सूत्रं – ७६ शेषत्व विरोधि स्वातंत्र्यम्; तच्छेषत्व विरोधि तदितर शेषत्वम् । सरल अनुवाद स्वतन्त्रता दासता के लिए बाधा है; अन्यों के प्रति दासता भगवान … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कृपापूर्वक उस विषय को समझा रहे हैं जिसे स्पष्टतः आकस्मिक कहा गया है और जो इसके विपरीत है [शेषत्वम्]। सूत्रं – ७५ स्वातन्त्र्यमुम् अन्य शेषत्वमुम् वन्देऱि । सरल अनुवाद अन्यों के प्रति स्वतंत्रता और दासता आकस्मिक … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७४

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब उनसे पूछा गया कि “यदि यह (शेषत्व/दास्यम् [दासत्व]) आत्मा का स्वरूप निरूपकम् है, तो क्या यह आत्मा के लिए प्रारम्भ से ही उपस्थित नहीं होना चाहिए था? क्योंकि यह अब प्रकट हो रहा है जबकि यह पहले उपस्थित … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब उनसे पूछा गया कि “यद्यपि शेषत्व इत्यादि [शेषत्व (दासत्व), पारतंत्र्य (पूर्ण निर्भरता)] और ज्ञातृत्व इत्यादि [ज्ञातृत्व (ज्ञानी), आनंदत्व (आनंदित)] सभी आत्मा के महत्वपूर्ण गुण हैं, तो शेषत्व इत्यादि को अधिक महत्त्व देने और ज्ञातृत्व इत्यादि को ऐसे शेषत्व … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब उनसे पूछा जाता है कि “ऐसी स्थिति में, यदि स्वयं-प्रयत्न और स्वयं-आनंद में कोई संलग्नता नहीं है, तो चेतन के प्रयास और चेतन का उद्देश्य क्या है?” तो श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक समझाते हैं। सूत्रं – ७२ परप्रयोजन … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७१

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी इस शंका को स्पष्ट करते हैं, “किन्तु, क्योंकि चेतन में कर्तृत्व (कर्ता होना) और भोक्तृत्व (भोक्ता होना) है, जो कि ज्ञानार्थ (ज्ञाता होना) का प्रभाव है, इसलिए वह आत्म-प्रयास में संलग्न होने और आत्म-आनंद की खोज … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया तो श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक उत्तर देते हैं कि “यद्यपि प्रापक (जो परिणाम प्रदान करता है) ईश्वर है, तो क्या चेतना ही प्राप्ता (जो परिणाम प्राप्त करता है) और प्राप्तिक्कु उगप्पान् (जो परिणाम का आनंद लेता … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी इस सिद्धांत की विश्वसनीयता स्थापित करने के लिए दयापूर्वक श्रीवेदांति स्वामीजी के शब्दों को उद्धृत करते हैं (भगवान ही एकमात्र साधन हैं)। सूत्रं – ६९ “अन्तिम कालत्तुक्कुत् तञ्जम् इप्पोदु तञ्जम् ऎन् ऎन्गिऱ निनैवु कुलैगै ” ऎन्ऱु … Read more