श्रीवचन भूषण – सूत्रं ९१
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब उनसे पूछा जाता है कि, “ये सब मोह के कारण घटित हुए हैं; जो कुछ अज्ञान/मोह के कारण घटित होता है वह वांछित नहीं है। तो ये कैसे वांछित हैं?” तो श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक उत्तर देते हैं। … Read more