श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी पहले बताए गए पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए इस सिद्धांत का निष्कर्ष निकालते हैं। सूत्रं – ३० आगैयाल् शुद्धि अशुद्धिगळ् इरण्डुम् तेड वेण्डा; इरुन्दपडिये अधिकारियम् इत्तनै। सरल अनुवाद इस प्रकार, किसी को शुद्धता या अशुद्धता … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं २९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया “हमने वह कहाँ देखा?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी पूर्व निर्देशित पहलुओं से दिखा रहे हैं। सूत्रं – २९ द्रौपदी स्नातैययन्ऱे प्रपत्ती पण्णिट्रु; अर्जुनन् नीसर् नडुवेयिऱे इव्वर्थम्  केट्टदु।  सरल अनुवाद द्रौपदी ने (अपने मासिक धर्म में) ऋतु स्नान … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं २८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका आगे, श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी अपनाये जाने वाली विधि में प्रतिबंध का अभाव दर्शाते हैं। सूत्रं – २८ प्रकार नियति इल्लै ऎन्नुमिडम् ऎङ्गुम् काणलाम् । सरल अनुवाद अपनाये जाने वाली विधि पर कोई प्रतिबंध नहीं है, यह सर्वत्र देखा जा … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं २७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका श्री पिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कहते हैं “इसे द्वयम, जो प्रपत्ती का अनुष्ठान है, के प्रथम पद में देखा जा सकता है”।  सूत्रं – २७ इव्वर्थम् मन्त्र रत्नत्तिल् प्रथम पदत्तिले सुस्पष्टम्। सरल अनुवाद यह सिद्धांत मंत्र रत्न के पहले … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं २६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका अपने पूर्व व्रत प्रपत्ती को समझाने के लिए, जिसमें पहले उल्लेखित कोई भी प्रतिबंध नहीं है, पहले  श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी स्थान और समय के आधार पर प्रतिबंध की न्यूनता की व्याख्या कर रहे हैं। सूत्रं – २६  “स एष … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं २५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक इस प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं “यदि प्रपत्ती के लिए ऐसे प्रतिबंध नहीं हैं, तो किस प्रक्रिया में ऐसे प्रतिबंध हैं?” सूत्रं – २५ कर्मत्तूक्कु पुण्य क्षेत्रम्, वसन्तादि कालम्, शास्त्रोक्तङ्गळान तत्तत् प्रकारङ्गळ्, त्रैवर्णिकर् ऎन्ऱु … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं २४

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका यह पूछे जाने पर कि “यदि ये प्रतिबंध नहीं हैं, तो क्या अन्य प्रतिबंध भी हैं?” सूत्रं – २४ विषय नियममे उळ्ळदु सरल अनुवाद एकमात्र प्रतिबंध यह है कि प्रपत्ती किसके प्रति की जाती है। व्याख्यान अर्थात् – … Read more

श्रीवचनभूषण – सूत्रं २३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व अवतारिका इसके पश्चात, श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक प्रपत्ति की प्रकृति की व्याख्या कर रहे हैं जो कि उपाय (भगवान) की खोज है और जिसे संयोग से उनके द्वारा सूत्र २२ “प्रपत्ति  उपदेशम्  पण्णिट्रुम्” में उजागर किया गया है। उसमें, सबसे … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं २२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी कृपाकर समझाते हैं कि भगवान ने क्यों छोटी-छोटी सेवाएँ कीं और ऐसे अर्जुन के लिए प्रपत्ति का निर्देश दिया जो मारे जाने के योग्य था। सूत्रं – २२ अर्जुननुक्कु दूत्य सारथ्यङ्गळ् पण्णिट्रुम् प्रपत्युपदेशम् पण्णिट्रुम् इवळुक्काग। सरल अनुवाद … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं २१

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला << पूर्व अवतारिका श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी इस दोष की निर्दयता को समझाते हैं।  सूत्रं – २१ पाण्डवर्गळैयुम् निरसिक्क प्राप्त्यमायिरुक्क वैत्तदु द्रौपदियुडैय मङ्गळ सूत्रत्तुक्काग  सरल अनुवाद जबकि उसे पांडवों को भी मारना चाहिए था, उसने द्रौपदी के मंगलसूत्र के लिए उन्हें जीवित छोड़ … Read more