यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग १०२
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग १०१ एऱुम्बियप्पा का आग्रह फिर एऱुम्बियप्पा को भी श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के दिव्य श्रीवैकुण्ठ पधारने के समाचार प्राप्त हुआ और जैसे इस श्लोक में कहा गया हैं वरवरमुनि पतिर्मे ततपदयुगमेव शरणमनुरूपम्।तस्यैव चरणयुगळे परिचरणं प्राप्यमिति ननुप्रताम्॥ (श्रीवरवरमुनि स्वामीजी दास के स्वामी हैं; उनके दिव्य … Read more