श्रीवचनभूषण – सूत्रं ८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व​ अवतारिका श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य​ स्वामीजी अम्माजी के विषय में तीन गुण कृपा, पारतंत्रय और अनन्यार्हतव को तीन वाक्य में समझाते हैं।  सूत्रं ८ पिराट्टि मुऱ्पडप् पिरिन्ददु तन्नुडैय कृपैयै वॆळियिडुगैक्काग, नडुविल् पिरिन्ददु पारतन्त्र्यत्तै वॆळियिडुगैक्काग, अनन्तरम् पिरिन्ददु अनन्यार्हत्वत्तै वॆळियिडुगैक्काग सरल अनुवाद सबसे पहिले … Read more

   लोकाचार्य स्वामीजी की दिव्य श्री सूक्तियां – १४

   श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमते वरवरमुनये नमः लोकाचार्य स्वामीजी की दिव्य-श्रीसूक्तियां << पूर्व अनुच्छेद १३१-इवर्गळैत् तनित्तनिये पट्रिनार्क्कु स्वरूप विनाशमिऱे मिदुनमे उपदेश्यमेन्ऱिरुप्पार्क्कु स्वरूप उज्जीवनमिऱे। जो व्यक्ति पिराट्टि (श्री महालक्ष्मी जी) और पेरुमाळ् (श्रीमन्नारायण) को पृथक-पृथक जानता है उसके प्राकृतिक स्वरूप (श्रीमन्नारायण के दास के रूप में पहचान) का विनाश हो जाएगा। जो व्यक्ति दिव्य … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व​ अवतारिका तत्पश्चात पुरुषकार कि प्रकृति को समझाने के लिये पहिले श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी दयापूर्वक उन गुणों कि व्याख्या करते हैं जो पुरुषकारत्व के लिये आवश्यक हैं।  सूत्रं ७ पुरुषकारमाम्पोदु कृपैयुम् पारतन्त्रयमुम् अनन्यार्हत्वमुम् वेणुम्  सरल अनुवाद पुरुषकार करते समय कृपा, … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व​ अवतारिका श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य​ स्वामीजी ने उज्जीवन के लिए आवश्यक पहलुओं को उजागर करने के लिए उपब्रुह्मणों के माध्यम से वेदांत का सार निर्धारित करना प्रारम्भ किया। इसमें, बाद में, वह दयापूर्वक इस प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं कि “वर्तमान … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व​ अवतारिका सबसे पहिले सूत्र १ में “वेदार्थम …” के साथ श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य​ स्वामीजी वेद उसके अर्थ और उपब्रुह्मणम् को एक साथ समझाया हैं। जैसे कि उन्होंने उस वेद के पूर्व और उत्तर भाग के वर्गिकरण पर प्रकाश डाला और जैसे … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व अवतारिका  श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य​ स्वामीजी इतिहास कि श्रेष्ठता को ओर स्थापित करते हैं   सूत्रं ४ अत्ताले अदु मुऱपट्टदु। सरल अनुवाद  उस कारण से उसे पहिले कहा गया हैं  व्याख्यान  अत्ताले …  इतिहास के उस अधीक प्रामाणिकता के कारण जैसे कि छांदोग्य … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व अवतारिका  श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य​  स्वामीजी इस संदेह को स्पष्ट करने हेतु व्याख्या कर रहे हैं “यदि उत्तरभाग उपबृंहण (इतिहास और पुराण जो वेदान्त को समझाते हैं) में कोई श्रेणी हैं” वैकल्पिक व्याख्या – श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य​ स्वामीजी स्वयं स्वेच्छा से बताते हैं कि … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं २ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व अवतारिका  श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य  स्वामीजी दयापूर्वक यह जान रहे हैं कि वेदों के किस खंड को उपर्युक्त साहित्य मे से किस भाग द्वारा निर्धारित किया जाना हैं।  सूत्रं २  स्मृतियाले पूर्व भागत्तिल अर्थम् अऱुदिइडक्कडवदु; मट्रै इरण्डालुम् उत्तर भागत्तिल अर्थम् अऱुदियिडक्कडवदु।  सरल … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं १ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व अवतारिका  एक प्रमाता (शिक्षक को ग्तान प्रस्तुत करता हैं) प्रमाण (ज्ञान का स्रोत) के साथ हीं प्रमेय (ज्ञान का लक्ष्य) निर्धारित करता हैं। ऐसे प्रमाण प्रत्यक्षं से प्रारम्भ कर ८ प्रकार के हैं।  प्रत्यक्षम् एकं चार्वाकाः कणाद सुगदौ पुनः।अनुमानञ्च तच्छात … Read more

श्रीवचन भूषण – अवतारिका – भाग ३ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व​ अब हम अवतारिका के अंतिम भाग को जारी रखेंगे। इस खंड में श्रीवरवरमुनि स्वामीजी समझाते हैं कि श्रीवचन भूषण द्वय महा मन्त्र को विस्तार से समझाते हैं जैसे कि श्रीसहस्रगीति में किया गया हैं।  श्रीशठकोप स्वामीजी श्रीसहस्रगीति जिसे दीर्घ … Read more