यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ४०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ३९ तिरुमञ्जनमप्पा और भट्टर्पिरान् जीयर् श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के शरण होते हैं  प्रतिदिन श्रीवरवरमुनि स्वामीजी सूर्योदय से पहिले दिव्य कावेरी नदी में स्नान करने जाते।तिरुमञ्जनमप्पा जो पूर्णत: सत्व कैङ्कर्य में निरत थे और जो बिना कोई लाभ के श्रीरङ्गनाथ​ भगवान कि सन्निधी में … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ३९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ३८ नायनार् द्वारा सन्यासाश्रम् स्वीकारना  उस समय दक्षीण दिशा से कुछ जन नायनार् के पास आकर नायनार् के हीं परिवार में किसी के मृत्यु का समाचार उन्हें सुनाया जिसके कारण उनका श्रीरङ्गनाथ भगवान के प्रति कैङ्कर्य में बाधा आगई। उन्होंने यह महसूस … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ३८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ३७ श्रीवरवरमुनि स्वामीजी श्रीकिडाम्बि नायनार से श्रीभाष्यम् पर व्याख्या को श्रवण किया  वहाँ काञ्चीपुरम् में उन्होंने श्रीकिडाम्बि नायनार् जो श्रीकिडाम्बि आच्चान् [वो जिन्हें श्रीगोष्ठीपूर्ण स्वामीजी ने श्रीरामानुज स्वामीजी के लिये प्रसाद बनाने के कैङ्कर्य के लिये नियुक्त किया] के वंशज से हैं … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ३७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ३६ श्रीवरवरमुनि स्वामीजी कृपाकर श्रीपेरुम्बुदूर् के लिये प्रस्थान किये  तत्पश्चात श्रीवरवरमुनि स्वामीजी श्रीपेरुम्बुदूर् के लिये प्रस्थान किये जैसे कि इस श्लोक में उल्लेख हैं  यतीन्द्रत्जननीम्प्राप्य पुरीं पुरुषपुङ्गवः।अन्तः किमपि सम्पश्यन्नत्राक्षीः लक्ष्म्णं मुनिम्॥ (पुरुषों में सबसे उत्तम श्रीवरवरमुनि स्वामीजी, श्रीरामानुज स्वामीजी के जन्म स्थान … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ३६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ३५ श्रीवरवरमुनि स्वामीजी कृपाकर वरदराज भगवान के मन्दिर जाते हैं  श्रीवरवरमुनि स्वामीजी तिरुमला से प्रस्थान कर राह में दो दिन के लिये विश्राम कर काञ्चीपुरम् में श्रीवरदराज भगवान की पूजा करने पहुँचे जैसे पाशुर में कहा गया हैं “उलगेत्तुम् आऴियान् अत्तियूरान् ” … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ३५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ३४ श्रीवरवरमुनि स्वामीजी कुछ समय वहाँ विश्राम करने के पश्चात फिर आगे चढ़ने लेगे। यह सुनकर पेरिय केळ्वि जीयर्  स्वामीजी अन्य श्रीवैष्णव जन और सभी मन्दिर के कर्मचारी सहित बड़ी कृपा से भगवान श्रीवेङ्कटेश कि श्रीशठरी (जिसे पूवार्क​ऴल्गळ् भी कहते है), पेरीय … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ३४

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ३३ अब तिरुमला का वर्णन भाद्रपद महिने के पहिले दिन तिरुमला पर्वत पर ब्रह्मोत्सव प्रारम्भ होता हैं। उस दिन श्रीपेरिय केळ्वि जीयर् (पर्वत पर प्रधान आचार्य जो मन्दिर कि देख रेक करते हैं) को एक स्वप्न आया जब लोग उन्हें कहते हैं … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ३३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ३२ श्रीवरवरमुनि स्वामीजी वेङ्कटाद्रि के लिये प्रस्थान किये  श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के दिव्य मन में तिरुमला और अन्य उत्तर भारत के दिव्य स्थानों कि यात्रा कर वहाँ भगवान कि पूजा करने का विचार किया। उन्होंने श्रीरङ्गनाथ भगवान कि सन्निधी में जाकर भगवान कि … Read more

 यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ३२

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ३१ तत्पश्चात भगवान ने श्रीवरवरमुनि स्वामीजी को श्रीतीर्थ, प्रसाद, श्रीशठारी और दिव्य पुष्पमाला प्रदान कर अलंकृत किया। वें ऐसे प्रसन्न हो गये जैसे कि उन्हें एक राजा के समान मुकुट और हार प्राप्त हुआ, यह सोचते हुए कि “हम श्रीरङ्गनाथ  भगवान के … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ३१

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ३० तत्पश्चात श्रीवरवरमुनि स्वामीजी अन्यों के साथ श्रीशठकोप स्वामीजी के सन्निधी में गये जिन्हें श्रीमहालक्ष्मी के स्वामी तेन्नरङ्गन्  (श्रीरन्ङ्गनाथ​ भगवान) के दिव्य चरण कमलों के रक्षात्मक खड़ाऊँ माना जाता हैं। उन्होंने उनकी पूजा किये, परिभ्रमण तरिके के से भीतर गये, श्रीरन्ङ्गनाच्चियार्  के … Read more