कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५५ – महाभारत युद्ध – भाग २

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचलमहामुनये नमः श्रृंखला << सहस्रनाम भीष्म की पराजय के पश्चात्, द्रोण कौरवों के सेनापति बने। भीषण युद्ध में बहुत योद्धा मारे जा रहे थे। भीष्म ओर हिडिंबा का पुत्र घटोत्कच युद्ध के मैदान में आया और कौरवों की सेना के लिए एक बहुत बड़ा भय … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५४ – सहस्रनाम

श्री:श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << महाभारत युद्ध -भाग १ महाभारत में कृष्ण द्वारा दिया गया श्रीगीतोपदेश के जैसे सहस्रनाम की भी महिमा है जो कृष्ण की महानता को दर्शाती है। आइए श्रद्धापूर्वक आनन्द लें। कृष्ण की आज्ञानुसार अर्जुन ने भीष्म पितामह को शरशैय्या पर लिटाया परन्तु … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५३ – महाभारत युद्ध -भाग १

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः  श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << गीतोपदेश भगवान के द्वारा गीतोपदेश देने के पश्चात् युद्ध आरम्भ हुआ। यह एक बहुत बड़ा युद्ध था जिसमें कई महान योद्धाओं ने भाग लिया। यह युद्ध अठारह दिनों तक चला। इसकी व्यवस्था इस प्रकार की गई थी कि योद्धा दिन में लड़ेंगे … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५२ – गीतोपदेश

श्री:श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << अर्जुन और दुर्योधन की सहायता कृष्ण की दिव्य आकांक्षा अनुसार महाभारत युद्ध आरम्भ हुआ, कृष्ण अर्जुन के सारथी बने। उन्होंने अपनी विशाल सेना दुर्योधन को दे दी। पांडवों और कौरवों के लिए विशाल सेनाएं एकत्रित हुई। वहां एकत्र हुए सैनिकों को … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५१ – अर्जुन और दुर्योधन की सहायता

श्री:श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << पांडव दूत -भाग २ कृष्ण की महिमा और योग्यता विश्व विख्यात है, इसीलिए युद्ध आरम्भ होने से पहले अर्जुन और दुर्योधन दोनों ही कृष्ण से सहायता लेने के लिए गये। आइए जानते हैं कि उन्होंने सहायता कैसे की। एक बार कृष्ण … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ५० – पांडव दूत – भाग २

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << विदुर पर कृपा कौरवों की सभा में जो हुआ आइए उसका आनन्द लें।जब कृष्ण दूत बनकर वहां पधारे, तब धृतराष्ट्र ने सोचा कि वह कृष्ण को बहुत-सा धन देकर उन्हें अपने पक्ष में कर लेंगे परन्तु तुरन्त ही उनको अनुभूति … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ४९ – विदुर पर कृपा

श्री:श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << पांडव दूत – भाग १ पाण्डु और विदुर धृतराष्ट्र के अनुज थे। विदुर कृष्ण के बहुत श्रद्धा रखते थे। हमारे सम्प्रदाय में वे इतने महान हैं कि उनको विदुराऴ्वान् के नाम से जाना जाता है। जब कृष्ण पाण्डवदूत के रूप में … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ४८ – पांडव दूत – भाग १

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << द्रौपदी का कल्याण कृष्ण द्वारा प्रकट किए सबसे अद्भुत गुणों में से एक है आश्रित पारतन्त्र्य- भक्तों के वचनों का पूर्णतः पालन करना। इन गुणों को हम दो प्रकार से जान सकते हैं – प्रथम, पांडवों के लिए दूत बनकर … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ४७ – द्रौपदी का कल्याण

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << सुदामा का सत्कार युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ पूर्ण होने के पश्चात् दुर्योधन माया द्वारा निर्मित महल में चारों ओर घूमने लगा और महल की अद्भुत वास्तुकला को देखकर मन्त्रमुग्ध हो गया। पांडवों के इस महल को देख उनके भाग्य से … Read more

कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ४६ – सुदामा का सत्कार

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << शाल्व और दन्तवक्र का वध कृष्ण अपने सहपाठी सुदामा के साथ सांदीपनी मुनि के पास अध्ययन करते थे। उन्हें कुचेला के नाम से जाना जाता है। कृष्ण और सुदामा घनिष्ठ मित्र थे। वे सपत्नी दरिद्रता का जीवन यापन कर रहे … Read more