श्रीवचनभूषण – सूत्रं ९४
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला << पूर्व अवतारिका जब पूछा गया कि “क्या भगवान के प्रति ऐसी महान इच्छा भगवान की महानता के अधीन नहीं है? क्या शम (मानसिक संतुलन), दम (आत्मसंयम) आदि जैसे श्रेष्ठ आत्मगुण योग्यता को परिष्कृत करते हैं?” श्रीपिळ्ळै लोकाचार्य स्वामीजी बताते हैं … Read more