कृष्ण लीलाएँ और उनका सार – ४३ – जरासन्ध का वध
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << द्वारका में जीवन और नारदजी का आनंद एक बार नारदजी द्वारका जी गये। कृष्ण उनके सत्कार के लिए आगे आए और उनकी स्तुति, सेवा की। वे सर्वत्र भ्रमण करते हैं इसलिए कृष्ण ने उनसे पूछा, “पांडव कैसे हैं?” उन्होंने उत्तर … Read more