आचार्य हृदयम् – ३
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << आचार्य हृदयम् – २ अवतारिका (परिचय) यहाँ यह बताया है कि क्या त्यागना होगा और क्या गृहण करना है। चूर्णिका ३ त्याज्योपादेयङ्गळ् सुक दुक्कङ्गळ् सामान्य व्याख्या सुख को स्वीकारना है और दु:ख को त्यागना है। व्याख्यान (टीका टिप्पणी) इसका अर्थ … Read more