आचार्य हृदयम् – ७
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नमः श्रृंखला << आचार्य हृदयम् – ६ अवतारिका (परिचय) यह सत्व, रज और तम इन गुणों के होने का कारण बताता है। चूर्णिका – ७ सत्व असत्व निदानम् इरुळ् तरुम् अमलङ्गळाग एन्नुम् जन्म जायमान काल कटाक्षङ्गळ। सामान्य व्याख्या इस संसार में जन्म के समय भगवान की … Read more