श्रीवचन भूषण – सूत्रं ५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व​ अवतारिका सबसे पहिले सूत्र १ में “वेदार्थम …” के साथ श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य​ स्वामीजी वेद उसके अर्थ और उपब्रुह्मणम् को एक साथ समझाया हैं। जैसे कि उन्होंने उस वेद के पूर्व और उत्तर भाग के वर्गिकरण पर प्रकाश डाला और जैसे … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ४ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व अवतारिका  श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य​ स्वामीजी इतिहास कि श्रेष्ठता को ओर स्थापित करते हैं   सूत्रं ४ अत्ताले अदु मुऱपट्टदु। सरल अनुवाद  उस कारण से उसे पहिले कहा गया हैं  व्याख्यान  अत्ताले …  इतिहास के उस अधीक प्रामाणिकता के कारण जैसे कि छांदोग्य … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं ३ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व अवतारिका  श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य​  स्वामीजी इस संदेह को स्पष्ट करने हेतु व्याख्या कर रहे हैं “यदि उत्तरभाग उपबृंहण (इतिहास और पुराण जो वेदान्त को समझाते हैं) में कोई श्रेणी हैं” वैकल्पिक व्याख्या – श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य​ स्वामीजी स्वयं स्वेच्छा से बताते हैं कि … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं २ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व अवतारिका  श्रीपिळ्ळैलोकाचार्य  स्वामीजी दयापूर्वक यह जान रहे हैं कि वेदों के किस खंड को उपर्युक्त साहित्य मे से किस भाग द्वारा निर्धारित किया जाना हैं।  सूत्रं २  स्मृतियाले पूर्व भागत्तिल अर्थम् अऱुदिइडक्कडवदु; मट्रै इरण्डालुम् उत्तर भागत्तिल अर्थम् अऱुदियिडक्कडवदु।  सरल … Read more

श्रीवचन भूषण – सूत्रं १ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व अवतारिका  एक प्रमाता (शिक्षक को ग्तान प्रस्तुत करता हैं) प्रमाण (ज्ञान का स्रोत) के साथ हीं प्रमेय (ज्ञान का लक्ष्य) निर्धारित करता हैं। ऐसे प्रमाण प्रत्यक्षं से प्रारम्भ कर ८ प्रकार के हैं।  प्रत्यक्षम् एकं चार्वाकाः कणाद सुगदौ पुनः।अनुमानञ्च तच्छात … Read more

श्रीवचन भूषण – अवतारिका – भाग ३ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: पूरी शृंखला पूर्व​ अब हम अवतारिका के अंतिम भाग को जारी रखेंगे। इस खंड में श्रीवरवरमुनि स्वामीजी समझाते हैं कि श्रीवचन भूषण द्वय महा मन्त्र को विस्तार से समझाते हैं जैसे कि श्रीसहस्रगीति में किया गया हैं।  श्रीशठकोप स्वामीजी श्रीसहस्रगीति जिसे दीर्घ … Read more

श्रीवचन भूषण – अवतारिका – भाग २ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्रीवानाचल महामुनये नम: पूरी श्रृंखला पूर्व अवतारिका के अगले भाग में हम अब आगे बड़ते हैं। इस अवतारिका के खंड में श्रीवरवरमुनि स्वामीजी इस प्रबन्ध के लिये दो प्रकार के वर्गीकरण (६ खंड और ९ खंड) बताते हैं।  श्रीपिळ्ळैलोकाचार्यर्, श्रीवरवरमुनि स्वामीजी – श्रीपेरुम्बुतूर् पहिले हम देखेंगे … Read more

श्रीवचन भूषण – अवतारिका – भाग १ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: श्रीवचन भूषण​ << तनियन् तिरुमन्त्र सम्पूर्ण वेद का सार हैं। तिरुमन्त्र में ३ शब्द ३ सिद्धान्तों को प्रकाशित करता हैं (अनन्यार्ह शेषत्व – केवल भगवान के शेष होकर रहना, अनन्य शरणत्व – उन्हीं के सर्वविध शरण रहना, अनन्य भोग्यत्व – भगवान के … Read more

श्रीवचन भूषण – तनियन्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नम: श्रीवचन भूषण​ श्रीवचन भूषण का पाठ / अध्ययन करने से पूर्व निम्म तनियन का पाठ करने कि प्रथा हैं। हम अपने गौरवशाली आचार्य और सभी के हित के लिये उनके साहित्यिक योगदान को समझने हेतु उन्हें संक्षेप में देखेंगे। पहिले श्रीशैलेश दयापात्रं … Read more

यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् – भाग ९६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः यतीन्द्र प्रवण प्रभावम् << भाग ९५ श्रीवरवरमुनि स्वामीजी का श्रीवैकुण्ठ जाने के लिये आग्रह  श्रीवानमामलै जीयर् स्वामीजी के कुछ दिनों के जाने के पश्चात श्रीवरवरमुनि स्वामीजी को पुनः प्राप्य भूमि (श्रीवैकुंठ) कि ओर स्नेह हुआ, त्याज्यभूमि (संसार) के प्रति घृणा हुआ और भगवान के अनुभव के अभाव … Read more